Wednesday, June 18, 2008

कुंद पड़ रही है कंगारुओं की धार

रिकी पोंटिंग की अगुवाई वाली आस्ट्रेलियाई टीम ने भले ही तीन टेस्ट मैचों की सीरीज में वेस्टइंडीज को 2-0 से मात दी हो लेकिन जिस तरह कैरिबियाई खिलाडि़यों ने पाताल नगरी की टीम का सामना किया उससे तो एक बात साफ हो जाती है कि कंगारुओं के आक्रमण में वह धार नहीं है जो एक वर्ष पहले तक थी।

तीसरे टेस्ट में आस्ट्रेलिया ने वेस्टइंडीज के सामने 476 रन का बेहद विशाल लक्ष्य रखा था और उम्मीद की जा रही थी कि वेस्टइंडीज की टीम इतनी बड़ी चुनौती के आगे आसानी से घुटने टेक देगी। लेकिन ऐसा नहीं हुआ, चौथे और पांचवें दिन की पिच पर भी कैरिबियाई बल्लेबाजों ने जमकर संघर्ष किया और यह मैच सिर्फ 87 रनों से हारे। ऐसा नहीं है कि वेस्टइंडीज का बल्लेबाजी क्रम टेस्ट क्रिकेट के लिहाज से बहुत शानदार है लेकिन आस्ट्रेलियाई गेंदबाजी में विविधता की कमी ने वेस्टइंडीज को संघर्ष को लंबा खींचने में मदद पहुंचाई।

यह पिछले कुछ महीनों में कोई पहला अवसर नहीं जब किसी टीम ने टेस्ट मैच की चौथी पारी में आस्ट्रेलियाई गेंदबाजों के पसीने छुड़ाए हों। पिछले साल के अंत में श्रीलंका ने भी होबार्ट टेस्ट मैच में कुछ ऐसा ही किया था। तब 490 से अधिक रन के लक्ष्य का पीछा करने उतरी श्रीलंकाई टीम सिर्फ 91 रनों से मैच हारी थी। इस हार में भी अंपायर रूडी कोएर्तजन का बड़ा हाथ था। उन्होंने 192 रन के निजी स्कोर पर खेल रहे कुमार संगकारा को बेहद विवादास्पद तरीके से आउट दे दिया था। इस सीरीज के बाद हुई भारत-आस्ट्रेलिया सीरीज में भी भारत ने आस्ट्रेलिया को उसके घर में कड़ी टक्कर दी। अगर सिडनी टेस्ट में पक्षपाती निर्णय नहीं आते तो यह सीरीज या तो ड्रा रहती या इसे भारत जीतता।

आस्ट्रेलियाई गेंदबाजी इधर कमजोर क्यों नजर आ रही है इसे जानने के लिए किसी राकेट साइंस की जरूरत नहीं है। कोई भी टीम शेन वार्न, ग्लैन मैक्ग्रा, स्टुअर्ट मैकगिल जैसे गेंदबाजों के रिटायर हो जाने से कमजोर होगी। लेकिन आस्ट्रेलिया के जिस मजबूत बेंच स्ट्रेंथ की बात की जा रही थी वह इन तीनों गेंदबाजों के जाने के बाद कसौटी पर खड़ा नहीं उतर रहा है।

ऐसा लग रहा है कि आस्ट्रेलियाई गेंदबाजी सिर्फ ब्रेट ली के सहारे चल रही है। स्टुअर्ट क्लार्क रिसपोंसिव पिचों पर ही चल पाते हैं जबकि मिशेल जॉनसन आस्ट्रेलियाई परंपरा के हिसाब से कोई धारदार गेंदबाज नहीं लगते। स्पिन विभाग की दास्तान भी कुछ ऐसी ही है। वार्न के संन्यास लेने के बाद से ही स्टुअर्ट मैकगिल फिट नहीं चल रहे थे और जब वह फिट हुए तो उन्होंने संन्यास की घोषणा कर दी। इस हालत में आस्ट्रेलिया गेंदबाजी का स्पिन आक्रमण बेहद कमजोर हो गया। उसने ब्रैड हॉग को मौका दिया लेकिन वह खास प्रभाव नहीं छोड़ पाए (हालांकि अब हॉग भी संन्यास ले चुके हैं)। वेस्टइंडीज के खिलाफ अंतिम टेस्ट मैच में आस्ट्रेलिया ने बीयू कासन नाम के चाइनामैन गेंदबाज को मौका दिया लेकिन वह तो ब्रैड हॉग से भी कमजोर नजर आते हैं।

हालांकि ऐसा नहीं है कि गेंदबाजी कमजोर होने से आस्ट्रेलिया की टीम में अब जीतने का माद्दा नहीं है। वो अब भी जीत रहे हैं और शायद आगे भी जीतेंगे लेकिन उनकी जीत का प्रतिशत पहले की तरह शानदार नहीं होगा। टेस्ट मैचों में आस्ट्रेलिया की नंबर एक गद्दी को फिलहाल कोई खतरा नजर नहीं रहा है। इसके पीछे जो सबसे बड़ी वजह है वह यह कि आस्ट्रेलिया और बाकी टीमों के बीच गुणवत्ता की खाई अभी भी बहुत चौड़ी है। आस्ट्रेलिया का बल्लेबाजी क्रम अभी भी बहुत मजबूत है और साथ ही मानसिक रूप से भी उसके खिलाड़ी बाकी टीमों के खिलाडि़यों की तुलना में बीस है।

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