Friday, June 6, 2008

खेलों में भारत के बाद किसका समर्थन करते हैं आप?

इंग्लैंड की टीम यूरो कप फुटबाल प्रतियोगिता के लिए क्वालीफाई नहीं कर सकी है इसलिए अब वहां के प्रशंसक स्पेन और हालैंड जैसी टीमों को अपना समर्थन दे रहे हैं। वहीं पारंपरिक प्रतिद्वंदिता के आधार पर वे यह भी चाहते हैं कि कोई देश इस खिताब को जीते लेकिन जर्मनी कभी न जीते।

कुछ इसी तरह की परिस्थितियां कभी-कभी भारत में भी उत्पन्न हो जाती है जब किसी ऐसे क्रिकेट टूर्नामेंट में जिसमें भारत न खेल रहा हो या शुरुआती चरण में हार कर बाहर हो गया हो तो हम भी विकल्प के तौर पर किसी दूसरे देश को अपना समर्थन देते हैं। पिछले विश्व कप ही उदाहरण ले लीजिए। भारत की टीम पहले ही राउंड में बांग्लादेश और श्रीलंका से हार कर बाहर हो गई। भारतीय टीम के कट्टर समर्थकों ने तो इसके बाद विश्व कप देखा ही नहीं लेकिन भारत में मौजूद अन्य क्रिकेट प्रेमियों ने अपनी-अपनी टीमें चुन ली।

उस दौड़ान कई लोगों से बातचीत के आधार पर मैं इस निष्कर्ष पर पहुंचा था कि भारत के बाहर हो जाने पर ज्यादातर भारतीयों ने अपना समर्थन दक्षिण अफ्रीका को दिया। इसके बाद वेस्टइंडीज का नंबर था फिर इंग्लैंड और न्यूजीलैंड का। नापसंदीदा टीमों की सूची में सबसे पहला नाम आस्ट्रेलिया (नंबर वन होने के कारण) का था। पाकिस्तान भी भारत की तरह पहले राउंड में बार हो गया था। अगर ऐसा नहीं हुआ होता तो शायद परंपरागत प्रतिद्वंदी होने के कारण पाकिस्तानी टीम इस मामले में आस्ट्रेलिया को पीछे छोड़ देती। चूकीं श्रीलंका से हार कर भारत बाहर हुआ था इसलिए उनके प्रति हमारे यहां गुस्से का भाव रहा था।

वैसे भारत के बाहर की क्रिकेट टीमों को लेकर भारतीय क्रिकेट प्रेमियों की पसंद समय के साथ-साथ बदली है। अब पाकिस्तानी टीम के प्रति हमारे यहां नफरत का वह भाव नहीं है जो 80 और 90 के दशक में था। उस समय पाकिस्तान के बाद जिस टीम को भारतीय कभी जीतते हुए नहीं देखना चाहते थे वह थी वेस्टइंडीज की टीम। इसके पीछे खास वजह यह थी कि वेस्टइंडीज उस समय की नंबर एक टीम थी और आम तौर पर भारतीय किसी एक टीम को लगातार जीतते हुए नहीं देखना चाहते। समय के साथ वेस्टइंडीज की जगह आस्ट्रेलिया ने ले ली। लेकिन भारत में नकारात्मक लोकप्रियता के मामले में आस्ट्रेलिया ने उस समय की वेस्टइंडीज की टीम को पीछे छोड़ दिया है।

पिछले कई सालों में मैंने यह जानने की काफी कोशिश की कि आखिर भारतीय किस आधार पर अपनी पसंदीदा नंबर दो टीम का चुनाव करते हैं। जहां तक मैं समझ पाया आमतौर हम यह चुनाव भावनात्मक आधार पर करते हैं। हमारे इस चुनाव के पीछे पसंद की जगह नापसंद वाला फैक्टर ज्यादा काम करता है। अमूमन हम उन टीमों को सपोर्ट करते हैं जो पाकिस्तान और विश्व की नंबर एक टीम को हराने का माद्दा रखती हो। हालांकि स्थिति तब रोचक हो जाती है जब पाकिस्तान और आस्ट्रेलिया के बीच मैच खेला जाता है। इस मैच में कट्टर पाकिस्तान विरोधी आस्ट्रेलिया को सपोर्ट करते हैं जबकि नंबर वन के विरोधी पाकिस्तान को।

क्रिकेट के अलावा और भी कुछ खेल हैं जहां नंबर वन का विरोध करने की हमारी प्रवृत्ति अपना असर दिखाती है। ओलंपिक में हम चाहते हैं कि रूस या चीन मेडल टैली में अमेरिका को पीछे छोड़ दें। फिर उसी चीन को हम एशियाई खेलों में जीतते हुए नहीं देखना चाहते हैं क्योंकि चीन वहां नंबर वन है।

हालांकि एक ऐसा खेल हैं यह नंबर वन विरोधी सिद्धांत समाप्त हो जाता है। वह खेल है फुटबाल। ब्राजील और अर्र्जेटीना विश्व फुटबाल में महाशक्तियां है लेकिन अधिकांश भारतीय विश्व कप फुटबाल में इन्हीं टीमों का समर्थन करते हैं। ऐसा इसलिए है क्योंकि हम भारतीय अंग्रेजों की गुलामी झेलने के कारण कभी उपनिवेशवाद को बढ़ावा देने वाले यूरोपीय राष्ट्रों को उतना पसंद नहीं करते और ब्राजील और अर्र्जेटीना की फुटबाल टीमें हमारे लिए उन योद्धाओं के समान है जो इन यूरोपीय ताकतों को पीटते हैं।

यह तो भारतीय खेल प्रेमियों के दूसरे पसंद पर मेरी राय थी? आप क्या कहते हैं?

1 comment:

PD said...

bahut badhiya..
Cricket me Bharat ke baad meri pasand - वेस्टइंडीज

Football me - अर्र्जेटीना

Hockey me - अर्र्जेटीना

Cricket me agar AUS aur PAK me match ho to main PAK ko support karta hun kyonki jo bhi ho, PAK bhartiye up-mahadvip ka sadasy hai.. :)

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