Tuesday, June 17, 2008

क्या पीटरसन का शॉट वाकई नियमों के विपरीत था?


इन दिनों इंग्लैंड के धाकड़ बल्लेबाज केविन पीटरसन क्रिकेटिया हलकों में खासे चर्चा में हैं। लेकिन उनका नाम इसलिए सुर्खियां नहीं बटोर रहा है कि उन्होंने मैदान पर कोई जबरदस्त पारी खेल दी हो या मैदान के बाहर कोई कारनामा कर दिया हो। उनकी चर्चा इसलिए हो रही है कि उन्होंने न्यूजीलैंड के खिलाफ 15 जून को खेले गए वनडे मैच में दो ऐसे शॉट लगाए जो क्रिकेट पंडितों के हलक से नीचे नहीं उतर रहा।

मामले ने कितना तूल पकड़ा है इसका अंदाजा इसी बात से लगाया जा सकता है कि क्रिकेट नियमों की संरक्षक माने जाने वाली संस्था मेरिलबोन क्रिकेट क्लब (एमसीसी) ने पीटरसन के शॉट पर विचार करने की बात कही है। दरअसरल पीटरसन ने किवी गेंदबाज स्कॉट स्टायरिस की गेंद पर रिवर्स स्वीप पर दो छक्के जमाए (पहला छक्का 39वें ओवर में और दूसरा 44वें ओवर में)। आप कहेंगे रिवर्स स्वीप में क्या नया है। आपका सोचना सही है रिवर्स स्वीप कोई नया शॉट नहीं है और इस पर पहले कोई शोर शराबा भी नहीं हुआ लेकिन पीटरसन का शॉट परंपरागत रिवर्स स्वीप नहीं था। उन्होंने इन दोनों शॉटों को जमाने से पहला अपना ग्रिप बदलकर दाएं हाथ के बल्लेबाज की जगह बाएं हाथ के बल्लेबाज बन गए। जबकि आम तौर पर रिवर्स स्वीप जमाते हुए बल्लेबाज अपना ग्रिप नहीं बदलता है।

क्रिकेट के नियमों के जानकार का कहना है कि जब गेंदबाज को अंपायर को बताए बिना अपना गेंदबाजी हाथ बदलने की इजाजत नहीं होती तो बल्लेबाज ऐसा कैसे कर सकता है। इन जानकारों के मुताबिक पीटरसन ने अपना ग्रिप बदल कर नियमों की अवहेलना की है।

हालांकि पीटरसन इन आरोपों को बेबुनियाद बताते हैं। उनके मुताबिक उनका शॉट इंप्रोवाइजेशन का शानदार नमूना था। उन्होंने कहा कि मैंने कुछ गलत नहीं किया है और शोर इसलिए मच रहा है कि मैंने रिवर्स स्वीप पर छक्का जड़ दिया जबकि आमतौर पर कोई अन्य बल्लेबाज रिवर्स स्वीप के सहारे गेंद को इतनी दूर तक नहीं मार पाता है।

वैसे देखा जाए तो पीटरसन ने वाकई कुछ गलत नहीं किया है। क्रिकेट में बल्लेबाज और गेंदबाजों के लिए नियमों का एक जैसा होना जरूरी नहीं है। आप ही सोचिए कोई बल्लेबाज अपनी क्रीज से आगे निकलकर शॉट खेल सकता है जबकि कोई गेंदबाज बॉलिंग करते वक्त ऐसा करने की कोशिश करेगा तो उसकी गेंद वह नो बॉल कहलाएगी। बल्लेबाज विकेट के बाएं और दाएं दोनो ओर शॉट खेल सकता है जबकि गेंदबाज या तो ओवर द विकेट गेंद फेंकेगा या राउंड द विकेट। अगर उसे इसमें परिवर्तन करना है तो अंपायर को बताना होगा।

वैसे भी बल्लेबाज किसी भी दिशा में घूमकर बल्लेबाजी करे लेकिन वह प्रमुखता से किसी एक हाथ का ही इस्तेमाल करता है। सौरव गांगुली हैं तो बाएं हत्था बल्लेबाज लेकिन उनके शॉट्स में अक्सर दाएं हाथ का ज्यादा इस्तेमाल होता है।
जब बल्लेबाज के लिए हाथ फिक्स करने की बात हो रही है तो फील्डरों को इस दायरे में क्यों नहीं लाया जाता। इन नियमों के ठेकेदारों की चले तो एक दिन ऐसा नियम भी बन सकता है कि फील्डर को मैच से पहले बताना होगा कि वह कौन से हाथ के कैच पकड़ेगा या किस हाथ से थ्रो करेगा।

मेरे विचार से जिस तरह ऊपर लिखी बातें अटपटी लगती है उसी तरह पीटरसन के शॉट पर उंगली उठाना भी बेहद अटपटा मामला है। यह किसी बल्लेबाज की योग्यता या क्षमता पर निर्भर है कि वह किस प्रकार शॉट खेलता है। हमें पीटरसन की तारीफ करनी चाहिए कि वह दाएं हाथ के बल्लेबाज होने के बावजूद भी बाएं हाथ से छक्का जमा सकते हैं।

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