Wednesday, June 4, 2008

वन-डे को बनाना होगा ट्वंटी 20 का डबल डोज


आईपीएल के धूम धड़ाके खत्म हुए। भारतीय टीम बांग्लादेश रवाना हो रही है जहां उसे मेजबान टीम के अलावा पाकिस्तान की भागीदारी वाली वनडे त्रिकोणीय सीरीज में भाग लेना है। इसके बाद एशिया कप होना है जहां पाकिस्तान और श्रीलंका के साथ-साथ बांग्लादेश और हांगकांग जैसी टीमें भी होगी।

आईपीएल में सचिन बनाम वार्न, जयसूर्या बनाम मैक्ग्रा, स्मिथ बनाम एंटिनी, यूसुफ पठान बनाम इरफान पठान जैसे बराबरी के मुकाबले देखने के बाद क्या दर्शकों को भारत बनाम हांगकांग जैसे बेमेल मुकाबले को देखने में मजा आएगा। वो भी 50-50 ओवरों तक। जरा याद कीजिए ट्वंटी 20 विश्व कप के बाद हुई भारत-आस्ट्रेलिया वनडे सीरीज। इस सीरीज में हरभजन-सायमंड्स-श्रीसंथ ड्रामे के अलावा और कोई रोमांच दर्शकों को नहीं मिला। ऐसा नहीं है कि इस सीरीज में क्वालिटी क्रिकेट नहीं खेली गई। यह सीरीज इसलिए फीकी साबित हुई क्योंकि यह ट्वंटी 20 विश्व कप के ठीक बाद खेला गया और इस सीरीज के सातों मुकाबले ट्वंटी 20 के रफ्तार और रोमांच के मुकाबले बौने साबित हुए। आस्ट्रेलिया में हुई त्रिकोणीय सीरीज इसलिए सफल रही क्योंकि वह टेस्ट सीरीज के बाद खेली गई। पूरी बात का मजमून यही है कि जैसे-जैसे ट्वंटी 20 मुकाबलों की संख्या बढे़गी वनडे अपना रोमांच खोता जाएगा। हालांकि टेस्ट क्रिकेट पर इसका कोई दुष्प्रभाव नहीं पड़ने वाला क्योंकि उसे चाहने वाले दर्शकों का वर्ग एकदम भिन्न है।

70 के दशक में हुए विवादित कैरी पैकर सीरीज ने वनडे क्रिकेट को नया जीवन दिया था। इस सीरीज में खिलाड़ी सफेद कपड़ों में नजर आने वाले देवदूतों की जगह रंगीन कपड़ों में लिपटे ग्लैडिएटर नजर आए। लाल रंग की गेंद की जगह सफेद रंग की गेंद ने ली और डे-नाइट मैचों ने आफिस में काम करने वालों को भी मैच देखने के लिए उचित समय मुहैया कराया। लेकिन उस सीरीज के बाद से अब तक वनडे क्रिकेट में खास बदलाव नहीं आया है। पावर-प्ले और फ्री हिट को छोड़ दें तो वनडे क्रिकेट वहीं का वही है। वैसे भी जिस धारणा के आधार पर वनडे क्रिकेट की शुरुआत हुई थी उसी धारणा को अपना सबसे बड़ा अस्त्र बनाकर ट्वंटी 20 ने उस पर धावा बोला है।

वनडे क्रिकेट इसलिए शुरू किया गया था ताकि जो दर्शक वर्ग टेस्ट मैचों में लगने वाले समय और इसके धीमेपन को पसंद को नहीं पसंद करता है वह भी इसके बहाने मैदान पर मैच देखने आएं और टेलिविजन पर भी इस खेल के प्रशंसक बने। पिछले 30 साल से वनडे इन लक्ष्यों को हासिल भी कर रहा था लेकिन अब ट्वंटी 20 के प्रादुर्भाव से इसके अस्तित्व के ऊपर बड़ा खतरा मंडरा रहा है।

तो क्या आने वाले सालों में वनडे क्रिकेट खत्म हो जाएगा। अगर इसे बचाने के प्रयास अभी से न किए गए तो जरूर खत्म हो जाएगा। इसके लिए जो सुझाव आजकल क्रिकेट पंडितों के बीच चर्चा में है वह है कि वनडे को ट्वंटी 20 का डबल डोज बना दिया जाए। यानी एक वनडे मैच को दो ट्वंटी 20 मैच में तब्दील कर दिया जाए मैच का नतीजा दोनों टीमों की दोनों पारियों के आधार पर किया जाए। इस तरह का प्रयोग 90 के दशक में किया गया था लेकिन तब वह सफल नहीं रहा था लेकिन अब लोग ट्वंटी का स्वाद चख चुके हैं तो इसके सफल होने की गुंजाइश बढ़ जाती है।

यह तो तय है कि आने वाले दिनों में ट्वंटी 20 अपना पैर और पसारेगा। जो आईपीएल इस बार डेढ़ महीने चला आगे चलकर तीन या चार महीनों का हो जाएगा या फिर इसका आयोजन साल में दो बार होगा। आस्ट्रेलिया, दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और पाकिस्तान भी आईपीएल का अनुसरण करने की ताक में है। इस स्थिति को ध्यान में रखकर क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं के वनडे के भविष्य पर खासा ध्यान देना होगा।

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