शनिवार को बांग्लादेश में खेले गए किट प्लाई कप के फाइनल मुकाबले में टीम इंडिया पाकिस्तान से 25 रनों से हार गई। चुकी यह हार फाइनल मुकाबला में मिली इसलिए दुख भी ज्यादा हो रहा था लेकिन उससे भी बड़ा दुख था कि आखिर हमारी टीम पाकिस्तान से क्यों हारी।
लोग कहते हैं कि पिछले कुछ सालों में भारत-पाकिस्तान के बीच कटुता कम हुई है और पाकिस्तान से हार कर भारतीयों के मन मस्तिष्क पर उतनी ठेस नहीं लगती जितना कि 80 या 90 के दशकों में लगा करती थी। लेकिन लाख समझाने के बावजूद मेरा मन आज भी वैसा ही है और आज भी पाकिस्तान से हारने पर मुझे बहुत बुरा लगता है। मेरे हृदय में आज भी पाकिस्तान के लिए कोई प्रेम भाव नहीं है। मैं संप्रदायवादी नहीं हूं और न ही यह मेरे पाकिस्तान के प्रति नफरत का आधार है। मैं पाकिस्तान से इसलिए नफरत करता हूं कि उसने हमारे ऊपर चार युद्ध थोपे और उसकी वजह से हम गरीबी दूर करने की बजाय युद्ध के साजो-सामान खरीदने पर मजबूर हैं। तो भला ऐसे देश से प्रेम कैसा।
लोग मुझसे पूछते हैं कि उस नफरत को क्रिकेट में क्यों लाते हो यह तो महज खेल है। लोगों के लिए यह खेल हुआ करे लेकिन मेरे लिए यह पाकिस्तान से युद्ध के मैदान के बाद भिड़ंत का दूसरा सबसे बड़ा अखाड़ा है। मुझे पता है कि क्रिकेट में कभी जीत तो कभी हार लगी रहती है लेकिन पाकिस्तान से हार कर दिल और दिमाग में आग लग जाती है और कम से एक-दो दिन तक तो बिल्कुल नहीं बुझती है।
हो सकता है मेरी सोच गलत हो लेकिन मामला जब जज्बाती हो जाए तो सोच की फिक्र कहां रहती है। मैं उन लोगों में से नहीं हूं जो पाकिस्तान के खिलाफ भारतीय टीम की हार पर भी कहे वेल ट्राइड, वेल प्लेड।
2 comments:
खेल पत्रकार बिक्रम, अगर खेल पत्रकार की उंचाईया चुना चाहते हो तो इनसे बचने का रास्ता ढून्ढो. जज्बाती मत बना करो.
भारतीय विक्रम , भारत का हर नागरिक आपकी तरह ही सोचता है . काश अपना खिलाडी भी ऐसा ही सोचते .अगर हारना हम नही चाहते तो जितने का पुख्ता इन्तेजाम कौन करेगा ? विपरीत परिस्थियों मे अपना न बल्ला चल पाता है , न गेंद .अपना कौन खिलाड़ी मुस्काते हुए बैटिंग करता ,या बौलिंग करता है . एक चौका प्रतिस्पर्धी टीम जड़ देता है तो बॉलर से लेकर कैप्टेन तक का मुह लटक जाता है .नतीजा अगले बॉल पर छका ! "हमे हारना नही है "की भावना के बदले "हमे जीतना है " की भावना लेकर जो भी टीम खेलेगी वो हारेगी ही . पाकिस्तान के एक एक खिलाडी से भारत के शीर्षस्थ खिलाडी को भी सीखने की जरूरत है .
वैसे मुझे आस्ट्रलिया से भी हार पर अपना टी.वी. फोड़ने का मन करता है .
वैसे पाकिस्तान के हार पर हिन्दुस्तान के छोटे छोटे कोने मे मातम मनाने का रिवाज़ अब तक जारी है . पाकिस्तान का हर प्राणी दुनिया से हार जाए पर भारत से हार को पचा नही पाती है .ज्यादा देर तक दुखी होने से बचें .भारतीयता जिंदा रहे आपके दिल मे आप हर उच्चाई को पाएंगे . जय हिंद ! जय भारत !
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