Tuesday, May 27, 2008
हमारे तेज गेंदबाज औसत बनकर क्यों रह जाते हैं
जवागल श्रीनाथ, वेंकटेश प्रसाद, अमय कुरविला, जहीर खान, आशीष नेहरा, इरफान पठान, एल बालाजी, रुद्र प्रताप सिंह, ये कुछ ऐसे नाम हैं जिन्होंने कपिल देव के संन्यास लेने के बाद कभी न कभी भारतीय तेज गेंदबाजी की कमान संभाली है।
इनमें से लगभग सभी ने अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर की अच्छी शुरुआत की और कुछ मैचों में अपने दम पर भारत को जीत भी दिलाई लेकिन सवाल यह है क्या हमारे ये तेज गेंदबाजों विश्व के अपने समकालीन महान तेज गेंदबाजों की श्रेणी में आते हैं। जब श्रीनाथ और प्रसाद का दौर था तब ग्लेन मैक्ग्रा, वसीम अकरम, एलन डोनाल्ड, शॉन पोलाक, वकार यूनुस और चामिंडा वास जैसे गेंदबाजों ने अपनी चमक बिखेरी। इनके आगे श्रीनाथ और वेंकटेश औसत ही नजर आए।
श्रीनाथ और वेंकटेश के बाद जहीर युग की शुरुआत हुई लेकिन वह भी ऊपर लिखे कुछ नामों की ख्याति के आगे दब से गए। फिर आशीष नेहरा, एल बालाजी, इरफान पठान और रुद्र प्रताप सिंह जैसे गेंदबाजों ने कमान संभाली है लेकिन लगता है कि आस्ट्रेलिया के ब्रेट ली और स्टुअर्ट क्लार्क, दक्षिण अफ्रीका के डेल स्टेन और इंग्लैंड के रेयान साइडबाटम इनके युग के सर्वश्रेष्ठ तेज गेंदबाज कहलाएंगे।
ऐसी क्या वजह है कि भारतीय तेज गेंदबाज अच्छी शुरुआत को कायम नहीं रख पाते हैं। जहां विश्व के अन्य तेज गेंदबाज औसत शुरुआत के बाद अपनी क्षमता में लगातार इजाफा करते रहते हैं वहीं हमारा कोई तेज गेंदबाज समय के साथ स्विंग खो देता है तो कोई रफ्तार। कुछ ऐसे भी हैं जिनमें न तो स्विंग बचती है और न ही रफ्तार। उदाहरण के तौर पर ब्रेट ली और जहीर खान के कैरियर की प्रगति का अवलोकन करें तो स्थिति साफ हो जाती है। दोनों ही तेज गेंदबाजों ने वर्ष 2000 में अपने-अपने कैरियर की शुरुआत की थी। ली के पास सिर्फ तेजी थी जबकि जहीर के पास अच्छी तेजी के साथ-साथ, दोनों ओर स्विंग कराने की क्षमता और एक अच्छा यार्कर भी था। अब देखिए ब्रेट ली के पास क्या-क्या है और जहीर के पास क्या बचा है। तूफानी रफ्तार के साथ इन स्विंग, आउट स्विंग, स्लोवर, कटर और योर्कर जैसे हथियारों के साथ ली फिलहाल दुनिया के श्रेष्ठ गेंदबाज हैं तो जहीर एक औसत गेंदबाज से ज्यादा कुछ नहीं।
बालाजी और नेहरा तो अपना फिटनेस ही कायम नहीं रख सके तो इरफान पठान की स्विंग और रफ्तार कहां गायब हुई यह उन्हें भी नहीं मालूम। पठान आज भी विकेट ले रहे हैं लेकिन उस तेजी के साथ नहीं जिसके लिए वह जाने जाते थे। अपनी बनाना इन स्विंग के लिए मशहूर पठान आज वनडे और ट्वंटी 20 में जरूर सफल हो रहे हैं लेकिन टेस्ट टीम में जगह बनाने के लिए उन्हें अपनी बल्लेबाजी का सहारा लेना पड़ता है। एक अन्य तेज गेंदबाज रुद्र प्रताप सिंह ने हालांकि अब तक खुद में सुधार ही किया है लेकिन डेल स्टेन और रेयान साइडबाटम तेजी से उन्हें पीछे छोड़ रहे हैं।
हालांकि भारतीय तेज गेंदबाजी एक नाम जरूर ऐसा सामने आया है जिसमें अपने समकालीन गेंदबाजों को पीछे छोड़ने की क्षमता है। वह तेज गेंदबाज हैं दिल्ली के ईशांत शर्मा। यह 19 साल का गेंदबाज बांग्लादेश में अपने कैरियर की शुरुआत से लेकर अब तक लंबा सफर तय चुका है। आस्ट्रेलिया में अपनी धारदार गेंदबाजी से उन्होंने सभी को प्रभावित किया है लेकिन अगर उन्हें औसत की राह छोड़कर महानता का रास्ता अख्तियार करना है तो खुद को हमेशा अपडेट करते रहना होगा और भारत के पिछले कई तेज गेंदबाजों की तुलना में आत्ममुग्धता से बचना होगा।
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