भले ही यह कारों की दौड़ हो लेकिन जब रफ्तार ३५० किलोमीटर प्रति घंटे से ज्यादा हो और वाहन की तकनीक एक उड़न खटोले से कम न हो तो इसे जमीन पर हवाई जहाजों की दौड़ मानना ग़लत नही होगा. हम बात फार्मूला वन रेस की कर रहे हैं जिसे टेलीविजन पर देखने मात्र से तन और मन रोमांच से भर जाता है. आपने निश्चित तौर पर दोपहिया वाहन की सवारी की होगी. जब कांटा ८० के पार जाता है तो शरीर मे अजीब सी गुदगुदी शुरू हो जाती है. तो कल्पना कीजिये उन चालकों का जो जहाज की रफ्तार से कार दौडाते हैं.
इस साल रफ़्तार का यह रोमांचक सफर ऑस्ट्रेलिया के मेलबोर्न मे शुरू होकर मलेशिया तक का अपना सफर पूरा कर चुका है. अगर आपने यह दोनों रेस न देखी हो तो निराश होने की कोई ज़रूरत नही अभी इस साल कुल १६ रेस बचे हुए हैं. ११ टीमों के २२ ड्राइवरों के बीच एक-एक इंच के लिए होने वाली इस ज़द्दोज़हद का अगला पड़ाव होगा बहरीन जहाँ ये शूरमा एक दूसरे को पीछे छोड़ने की कोशिश करेंगे. हमारे-आपके लिए यहाँ एक भारतीय पहलू भी मौजूद है. ११ टीमों मे एक टीम है फोर्स इंडिया जिसके मालिक हैं विजय माल्या. हालांकि उनकी टीम अभी प्रतिस्पर्धी नही है लेकिन अच्छी कोशिश ज़रूर कर रही है.
वैसे तो आज भारत मे भी इस खेल को चाहने वाले और जानने वाले बहुत से लोग हैं लेकिन अगर आप इसके कुछ मूलभूत तथ्यों से अनभिज्ञ हैं तो मैं उसकी जानकारी आगे देने कि कोशिश कर रहा हूँ.
१- जैसा मैं पहले ही कह चुका कि इस साल फार्मूला वन मे कुल ११ टीमें भाग ले रही हैं. हालांकि अलग-अलग साल टीमों कि संख्या घट-बढ़ सकती है.
२- हर रेस मे एक टीम का दो ड्राइवर भाग लेता है. (इन दोनों ड्राइवरों के अलावा भी सभी टीमों के पास टेस्ट ड्राइवर भी होते हैं).
३-हर साल दो खिताब दाव पर लगे होते हैं एक है ड्राइवर चैंपियनशिप और दूसरा कंसट्रकटर चैंपियनशिप. मतलब साल कि सभी रेसों मे जो ड्राइवर सबसे ज्यादा अंक जुटाता है उसे ड्राइवर चैंपियनशिप का खिताब मिलता है और सबसे ज्यादा अंक जुटाने वाली टीम (दोनों ड्राइवरों के संयुक्त अंक) कंसट्रकटर चैंपियनशिप का खिताब जीतती है.
४- मुख्य रेस रविवार को होती है. इससे पहले शुक्रवार और शनिवार को क्वालीफाईंग रेस होती है जिसके ज़रिये कौन सा ड्राइवर मुख्य रेस के दिन किस स्थान से शुरुआत करेगा इसका फैसला होता है. दोनों क्वालीफाईंग रेस को मिलाकर जो ड्राइवर सबसे कम समय लेता है उसे पहला स्थान मिलता है. इसे पोल पोजीशन भी कहते हैं. इसी तरह बाकि स्थानों का निर्धारण भी होता है.
५- हर ड्राइवर १, २, या ३ बार तेल लेने के लिए रेस की लेन से बाहर आकर रुकता है. इसे पिट स्टॉप कहते हैं. यह सभी टीमों की रणनीति का अहम् हिस्सा होता है और वे इसपे खास ध्यान रखते हैं.
६- पूरे ट्रैक के एक चक्कर को एक लैप कहते हैं. अलग-अलग रेसों मे लैपों की लम्बाई और संख्यां अलग-अलग होती है.
७- जो ड्राइवर सबसे पहले रेस पूरी करता है उसे पहला स्थान मिलता है. रेस ख़त्म होते वक्त चालकों को एक झंडा दिखाया जाता है जिसे चेकर्ड फ्लैग कहते हैं.
८- किसी रेस मे पहले स्थान पर आने वाले ड्राइवर को १० (दस) अंक मिलते हैं, दूसरे को ८, तीसरे को ६, चौथे को ५, पांचवे को ४, छठे को ३, सातवे को २, आठवे को १ अंक मिलता है. मतलव यह हुआ कि २२ ड्राइवरों मे से सिर्फ़ ८ को अंक मिलते हैं. और इस प्रकार साल की सभी रेसों को मिलाकर नतीजों का निर्धारण होता है.
९-किसी एक रेस मे पहले तीन स्थान पर आने को पोडियम फिनिश कहते हैं. जैसा कि आपने ओलंपिक मे देखा होगा.
ये तो रही फार्मूला वन की मुख्य-मुख्य बातें. और भी कई तथ्य हैं जो इस खेल के रोमांच को बढाती है. इन बातों को आप रेस देखते-देखते अपने आप जान जायेंगे. लेकिन हर खेल की तरह यह खेल भी विवादों से अछूता नही रहा है. हालांकि इसकी मुख्य संस्था एफआईऐ यानि इंटरनेशनल ऑटोमोबाइल फेडरेशन ने इन सब से बचने के लिए कई कड़े नियम बना रखें हैं लेकिन फ़िर भी कुछ अप्रिय घटनाये होती रहती हैं. पिछले साल फरारी और मक्लौरेन के बीच जासूसी विवाद ने काफी तुल पकड़ा था. साथ ही मक्लौरेन के दोनों ड्राइवरों लेविस हैमिल्टन और फर्नांडो अलोंसो की आपसी अनबन ने भी मीडिया में सुर्खियाँ बटोरी थी. इस साल अलोंसो अपनी पुरानी टीम रेनोल्ट की तरफ़ से रेस कर रहे हैं.
3 comments:
आपका खेल आधारित ब्लाग देखा काफी अच्छा लगा, जरूर आपके ब्लाग पर आता रहूँगा।
अजी साहब दोड मे तो कभी हिस्सा नही लिया ओर ना ही लेने का विचार हे, लेकिन हम ने भी २५० कि मी की रफ़तार से कार तो चलाई हे, कोई डर नही, कोई भय नही, हमारे जहां हाईवे पर कोई स्पीड लिम्ट नही हे...
आप का लेख बहुत ही सुन्दर हे आप ने बिस्तार से सब समझाया हे.
सच बोलूं विक्रम जी मुझे फार्मूला वन रेस के बारे में इतनी जानकारी पहले नही थी लेकिन आपका ब्लॉग पढने के बाद काफी नई बातें पता चल गई. आप ऐसे ही लिखते रहे तो हमारे जैसे न जाने कितने लोगों को और भी कई रोचक बातों की जानकारी होती रहेगी.
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