Sunday, June 14, 2009

न्यूजीलैण्ड टीम का साइकोलॉजिकल बैरियर

अगर आपने 1986 में शारजाह में हुए आस्ट्रेलेशिया कप का फाइनल देखा नहीं होगा तो इसके बारे में सुना जरूर होगा। भारत और पाकिस्तान के बीच हुए इस मैच के आखिरी ओवर की आखिरी गेंद पर पाकिस्तान को जीत के लिए चार रन की दरकार थी। भारतीय गेंदबाज चेतन शर्मा ने फुलटॉस गेंद डाली और जावेद मियांदाद ने इसपर छक्का जड़ दिया। इस मैच के बाद भारतीयों का दिल ऐसा टूटा कि आने वाले कुछ सालों तक भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ नजदीकी मैच जीत ही नहीं पाती थी। यानी भारतीय टीम पाकिस्तान के खिलाफ एक साइकोलोजिकल बैरियर से ग्रस्त हो गई।

कुछ ऐसा ही साइकोलोजिकल बैरियर पाकिस्तान टीम को भारत के खिलाफ विश्व कप मैचों में है। किसी भी क्रिकेट विश्व कप में दोनों टीमों की तैयारी या फॉर्म कैसी भी क्यों न हो आपसी मुकाबले में जीत भारत की ही होती है। यह सिलसिला 1992 वनडे विश्व कप से शुरू हुआ और दक्षिण अफ्रीका में हुए पिछले ट्वंटी 20 विश्व कप तक जारी था।

इसी तरह के एक मनोवैज्ञानिक अवरोध से न्यूजीलैण्ड की टीम भी ग्रस्त है। आज की तारीख में वह पाकिस्तान से अच्छी और बेहतर फॉर्म वाली ट्वंटी 20 टीम थी लेकिन 13 जून को हुए मैच में उसे पाकिस्तान ने आसानी से मात दे दी। पाकिस्तान के खिलाफ हथियार डाल देने का कीवी टीम का सिलसिला 1992 विश्व कप के सेमीफाइनल के बाद शुरू हुआ। इस विश्व कप में मार्टन क्रो की कप्तानी में न्यूजीलैण्ड की टीम बेहतरीन प्रदर्शन कर रही थी। उसने लगातार सात लीग मैच जीते। आठवें और आखिरी लीग मैच में न्यूजीलैण्ड का सामना पाकिस्तान से था। कहा जाता है कि न्यूजीलैण्ड यह मैच जानबूझ कर हार गया। अगर वह यह मैच जीतता तो सेमीफाइनल में उसका सामना आस्ट्रेलिया से आस्ट्रेलिया में होता और हार की स्थिति में उसे अपने देश में पाकिस्तान से ही भिड़ना था। पाकिस्तान की टीम उस विश्व कप में तब तक अच्छा खेल पाने में असफल रही थी औऱ क्रो भरोसा था कि वह इमरान की टीम को सेमीफाइनल में आसानी से हरा देगी। सेमीफाइनल में न्यूजीलैण्ड ने पहले बल्लेबाजी करते हुए 262 रन का सम्मानजनक स्कोर बनाया। उस समय 250 से ऊपर का स्कोर मैच जिताऊ माना जाता था। जवाब में पाकिस्तान की टीम 140 रन पर चार विकेट गंवाकर काफी दबाव में थी क्योंकि तब तक ओवर भी काफी निकल गए थे। यहीं से इंजमाम उल हक ने ऐसी पारी खेली जिसे उनके प्रशंसक आज भी याद रखे हुए हैं। उन्होंने 37 गेंदों पर 60 रन ठोक डाले और पाकिस्तान को जीत दिला न्यूजीलैण्ड का सपना चकनाचूर कर दिया।
इस हार के बाद कीवी टीम कभी भी विश्व कप में पाकिस्तान के खिलाफ मैच नहीं जीत पाई है। उसे 1996 और 1999 वन विश्व कप में पाक ने बुरी तरह हराया। 2003 और 2007 विश्व कप में इन दोनों का सामना नहीं हुआ। पिछले ट्वंटी 20 विश्व में और इस ट्वंटी 20 विश्व कप में पाकिस्तान न्यूजीलैण्ड के खिलाफ भारी पड़ा।

क्रिकेट में किसी टीम या या कुछ खिलाड़ियों के और भी ऐसे साइकोलॉजिकल बैरियर रहे हैं। कुछ ने इससे पार पा लिया तो कुछ अभी भी इससे जूझ रहे हैं। जैसे शेन वार्न अपने अंतरराष्ट्रीय कैरियर में सचिन तेंदुलकर के सामने सफल नहीं हुए। पाकिस्तानी बल्लेबाजों को वेंकटेश प्रसाद से हमेशा दिक्कत हुई। ट्वंटी 20 में भारत न्यूजीलैण्ड से नहीं जीत पाता है। मिस्बाह उल हक पाकस्तानी टीम को जीत के करीब ले जाकर आउट हो जाते हैं खास कर भारत के खिलाफ।

वैसे तो इंग्लैण्ड की टीम भी इन दिनों भारत के खिलाफ कोई बड़ा मैच नहीं जीत सकी है। यह सिलसिला 1999 वन-डे विश्व कप से शुरू हुआ था। देखने वाली बात है कि लॉर्ड्स में आज क्या होगा। याद रखिए भारत आज हारा तो बाहर। फिर सब मिलकर फीफा कनफेडरेशन कप फुटबाल देखेंगे। ब्राजील और इटली के जलवे।

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