Monday, December 29, 2008

भारत और सचिन के पास मौके कम हैं

पिछले एक दशक में यह (२००८) क्रिकेट का सबसे उथलपुथल वाला साल रहा. ऑस्ट्रेलियाई वर्चस्व के बीच हरभजन-साइमंड्स विवाद से शुरू हुआ यह साल ख़त्म होते-होते मेलबर्न में ऑस्ट्रेलियाई टीम के पराक्रम के दौर के अवसान का साक्षी बन रहा है. दक्षिण अफ्रीका के ख़िलाफ़ मेलबर्न टेस्ट के चौथे दिन कंगारू हार की कगार पर खड़े हैं और किसी चमत्कार के कारण अगर वो यह मैच जीत भी जाते हैं तो भी इतना तय है कि आने वाले समय में वह नंबर एक कि कुर्सी से हटाये जाने वाले हैं.

उम्मीद तो थी कि टीम इंडिया शीर्ष पर पहुचेगी लेकिन मौजूदा हालत में यह गद्दी दक्षिण अफ्रीका को मिलने वाली है. यह भले ही हो सकता है कि भारत नंबर २ पर बना रहे और ऑस्ट्रेलिया नए साल में तीसरे या चौथे पायदान पर खिसक जाए. भारत टेस्ट में वर्ष २००९ में नंबर एक नही बनने वाला. इसके पीछे २ कारण हैं. पहला इस साल भारत महज सात टेस्ट मैच खेलेगा. इनमे से दो न्यूजीलैंड के साथ, तीन श्रीलंका के साथ और दो बांग्लादेश के साथ. ये तीन टीम आईसीसी रैंकिंग में इतना पीछे है कि भारत को इन्हे हरा कर भी ज्यादा अंक नही मिलने वाला. अगर दक्षिण अफ्रीका ऑस्ट्रेलिया को हरा कर नंबर एक बनता है तो उस समय उसके और भारत के बीच करीब १४ अंक का फासला होगा. इस फासले को कम करने के लिए हमारे पास अगले साल ज्यादा मौके नही हैं.

वहीँ दक्षिण अफ्रीका भी अगले साल केवल आठ टेस्ट मैच ही खेलेगा लेकिन ये मैच वह ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड जैसी अच्छी रैंकिंग वाली टीमों के खिलाफ खेलेगा. अफ्रीकी टीम अगर जीत जाती है तो वह भारत से अपना अन्तर और बढ़ा लेगी. यदि वह हार जाती है तो उसे हराने वाली टीम (ऑस्ट्रेलिया और इंग्लैंड) भारत के बराबर या आगे निकल जायेगी.

कुछ ऐसा ही माजरा सचिन तेंदुलकर के सर्वाधिक टेस्ट शतक के रिकॉर्ड के साथ भी दिख रहा है. वह अभी तक ४१ शतक जमा चुके हैं. दूसरे स्थान पर कायम पोंटिंग ने ३७ शतक ठोके हैं. वहीँ ऑस्ट्रेलिया को २००९ में कम से कम १२ टेस्ट खेलने हैं. अगर वो पाकिस्तान के खिलाफ खेलती है उसके टेस्ट मैचों कि संख्या १५ हो जायेगी.

ऑस्ट्रेलिया को दक्षिण अफ्रीका, इंग्लैंड और वेस्टइंडीज के ख़िलाफ़ उछालभरी पिचों पर खेलना है. इन प्रतिद्वंदियों और इन पिचों पर पोंटिंग को बल्लेबाजी करना पोंटिंग को खूब रास आता है. इसका उदहारण हमने अभी चल रहे मेलबर्न टेस्ट में भी देखा. आउट ऑफ़ फॉर्म चल रहे पोंटिंग ने अफ्रीकी टीम के ख़िलाफ़ पहली पारी में शतक ठोका तो दूसरी पारी में वह सिर्फ़ एक रन से शतक चूक गए. अफ्रीका के ख़िलाफ़ वह पहले भी एक टेस्ट में दो शतक ज़माने का कारनामा कर चुके है. तो कोई ताज्जुब न हो अगर अगले साल पोंटिंग टेस्ट शतकों के मामले में सचिन से आगे निकल जाए. पोंटिंग टेस्ट रनों के मामले में भी सचिन से करीब १८०० रन पीछे हैं अगले साल यह अन्तर भी कम हो जाएगा.

खैर रिकॉर्ड बनते ही टूटने के लिए हैं लेकिन जिस तरह हमारा बोर्ड टेस्ट क्रिकेट पर कम ध्यान देता है वह चिंता का कारण है. सचिन १९८९ से खेल रहे हैं और उन्होंने तब से अब तक १५५ टेस्ट खेले. जबकि पोंटिंग १९९५-१९९९६ से खेलने के बावजूद १२९ टेस्ट खेल चुके हैं.

हाँ अगले साल भारत को एक दिवसीय मैचों कि कमी नही होने वाली. हम बांग्लादेश से लेकर ऑस्ट्रेलिया तक सबसे भिडेंगे और करीब ४० मैच खेलेंगे. जहाँ तक २०-२० कि बात है तो इसका दूसरा विश्व कप २००९ के मई में इंग्लैंड में होगा ही. आईपीएल के मजे तो मिलेंगे ही.

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