Friday, October 23, 2009

700 करोड़ रुपये कम तो नहीं होते

20 अक्टूबर को भारतीय क्रिकेट कंट्रोल बोर्ड ने अप्रैल 2010 से मार्च 2014 तक के लिए भारत में होने वाले अंतरराष्ट्रीय और घरेलू मैचों (विश्व कप 2011, आईपीएल और चैम्पियंस लीग शामिल नहीं) के टेलिविजन प्रसारण अधिकार निम्बस के चैनल नियो क्रिकेट को 2000 करोड़ रुपये में बेचे। पिछली बार इसी निम्बस ने इसी बीसीसीआई के साथ यही करार 2700 करोड़ रुपये से ज्यादा में किए थे। तो आखिर क्या बात है कि क्रिकेट मार्केटिंग में दुनिया को नए तरीके सिखाने वाली बीसीसीआई की मार्केटिंग कमेटी ने इस बार इतना बड़ा घाटा सहा। इसी कमेटी ने चैम्पियंस लीग टी 20 टूर्नामेंट के अगले 10 साल के प्रसारण अधिकार 4500 करोड़ से भी अधिक में बेचे। भले ही यह 10 साल का करार है लेकिन चैम्पियंस लीग साल में 15-20 दिन ही होंगे।
इसका सीधा मतलब तो यही निकलता है कि भारतीय क्रिकेट के कर्ताधर्ताओं ने यह मान लिया है कि टेस्ट और वनडे क्रिकेट पहले ही तरह बिकाऊ नहीं है। लेकिन क्या वाकई ऐसा है। इसी बीसीसीआई का कहना है कि वह भारत-आस्ट्रेलिया वनडे सीरीज के हर मैच से जितनी कमाई करेगा उतना पैसा उसे आईसीसी पूरे 2011 विश्व कप के लिए नहीं देगी। वनडे तो अब भी बिकाऊ हैं। खास कर वो वनडे जिसमें भारत हिस्सा ले रहा हो। टैम के आंकड़ें गवाह है कि दक्षिण अफ्रीका में हुए चैम्पियंस ट्रॉफी के उन मैचों को जिनमें भारत खेला चैम्पियंस लीग के मैचों से अधिक टीवी दर्शक मिले। मेरे पास तो बोर्ड की मार्केटिंग कमेटी के किसी सदस्य का नम्बर नहीं है लेकिन जिनके पास है क्या वो उनसे पूछ के बताएंगे कि हमारे बोर्ड ने इतना बड़ा घाटा क्यों सहा।

ब्लोग्वानी

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