पाटा विकेट। तेज गेंदबाज बेअसर। फिर दोनों छोर से स्पिन आक्रमण। ललचाती गेंदों पर आसमानी शॉट खेलने के चक्कर में अपने विकेट गंवाता बल्लेबाज। ये कुछ ऐसे नजारे हैं जो टीम इंडिया के टेस्ट मैचों में अक्सर दिखाई देते हैं। नेपियर के मैक्लीन पार्क में भारत और न्यूजीलैण्ड के बीच चल रहे दूसरे टेस्ट मैच के दूसरे दिन भी यह नजारा दिखा। लेकिन पहले और अब में एक बड़ा अंतर यह रहा कि गेंदबाजी पर विपक्षी टीम थी और विकेट फेंक रहे थे भारतीय बल्लेबाज।
स्पिन आक्रमण के खिलाफ भारतीय बल्लेबाजों की मजबूती जग जाहिर है लेकिन न्यूजीलैण्ड के कप्तान डेनियल विटोरी जो खुद भी एक उम्दा लेफ्ट आर्म स्पिनर हैं भारतीयों के खिलाफ उसी के हथियार के इस्तेमाल की रणनीति अपना रहे हैं। भारतीय टीम जब न्यूजीलैण्ड रवाना हुई तब उसे सबसे ज्यादा डर वहां की उछाल और स्विंग की मददगार पिचों से था। स्पिन की चुनौती की उम्मीद तो उसे बिल्कुल भी नहीं रही होगी। लेकिन जब रफ्तार की योजना फेल हो गई तो कीवियों के कप्तान ने भारतीयों को फिरकी के जाल में फांसने की योजना बनाई।
टीम इंडिया के बल्लेबाजों को यह बात टेस्ट मैच शुरू होते ही समझ जानी चाहिए थी क्योंकि न्यूजीलैण्ड इस मैच में दो स्पिनरों (विटोरी और जीतन पटेल) के साथ उतरा था। वहीं भारतीय थिंक टैंक ने सिर्फ एक स्पिनर (हरभजन सिंह) को खिलाने का फैसला किया। अब विटोरी का यह फैसला रंग लाता दिख रहा है। इसे कम से कम शुरुआती सफलता तो मिल ही गई। वीरेन्द्र सहवाग और गौतम गंभीर दोनों ही स्पिन के खिलाफ धाकड़ खिलाड़ी माने जाते हैं लेकिन ये दोनों खुद को विटोरी के बुने जाल में फंसने से नहीं रोक सके। सहवाग विटोरी को लगातार दूसरा छक्का जडऩे के प्रयास में विकेटकीपर ब्रैंडन मैकुलम को कैच थमा बैठे तो गंभीर इन फील्ड के ऊपर से शॉट खेलने के प्रयास में पटेल का शिकार बन गए। नाइट वाचमैन ईशांत शर्मा ने कुछ देर तो हौसला दिखाया लेकिन शाम ढलते-ढलते विटोरी ने उन्हें भी पैवेलियन में हवा खाने भेज दिया।
अब स्पिन के खिलाफ भारतीयों की प्रतिष्ठा दाव पर है। सचिन और राहुल द्रविड़ क्रीज पर हैं जबकि अगला नंबर वीवीएस लक्ष्मण का है। ये सभी स्पिन के खिलाफ धुरंधर बल्लेबाज हैं और उम्मीद की जानी चाहिए कि वे भारत को संकट से उबार ले जाएंगे। लेकिन भारत अभी भी कीवी टीम से पहली पारी के आधार पर 500 से ज्यादा रनों से पीछे है और इसका दबाव इन बल्लेबाजों पर भी पड़ सकता है। मैच के तीसरे दिन भारतीय किस तरह इस चुनौती का सामना करते हैं यह देखने वाली बात होगी।