पोंटिंग ने इंग्लैण्ड के खिलाफ वर्तमान एशेज सीरीज के पहले टेस्ट मैच में शतक जमाकर अपने शतकों की संख्या 38 तक पहुंचा दी है। क्रिकेटिया हलकों में इस बात पर बहस भी छिड़ गई है कि कहीं पोंटिंग सचिन तेंदुलकर से भी महान बल्लेबाज तो नहीं। मैं ऐसा नहीं मानता। क्योंकि सिर्फ आंकड़े किसी बल्लेबाज के महानता की असली तस्वीर बयां नहीं करते। लेकिन अगर आंकड़ेबाजी पर ही चलें तो मैं यहां कुछ ऐसे आंकड़े दे रहा हूं जो वास्तविक तो मुमकिन नहीं हो सकते है लेकिन इन पर विचार कर सचिन और पोंटिंग के बीच के अंतर को समझा जा सकता है। सिर्फ इतना सोचें कि अगर सचिन एक आस्ट्रेलियाई क्रिकेट होते और पोंटिंग भारतीय तो दोनों का रिकार्ड कैसा रहता। तब सचिन पोंटिंग से इतने आगे होते कि उनके रिकार्ड को चुनौती मिलना असंभव होता। इस विश्लेषण में मैंने दोनों खिलाड़ियों की काबिलियत का आंकलन नहीं किया है। बस देश बदलने की स्थिति में मिले मौकों के आधार पर कौन कहां खड़ा होता यह जानने की कोशिश की है।
स्थित एक-सचिन अगर आस्ट्रेलियाई होते
सचिन के पहले टेस्ट मैच के बाद से
आज तक भारत के कुल टेस्ट मैच- 173
इतने दिनों में सचिन के कुल टेस्ट मैच- 159
सचिन की प्रतिशत अनुपस्थिति- 8.09
इसी दरम्यान आस्ट्रेलिया के कुल टेस्ट- 226
अगर सचिन आस्ट्रेलियाई होते तो
8.09 प्रतिशत अनुपस्थिति दर के हिसाब
से उनके कुल टेस्ट मैचों की संख्या होती- 207
सचिन ने भारत के लिए 159 टेस्ट मैचों में
261 पारी खेली है यानी प्रति टेस्ट उनके
पारियों की संख्या हुई- 1.64
इस हिसाब से सचिन अगर आस्ट्रेलियाई
होते तो उनके पारियों की संख्या होती- 339
भारत के लिए खेली 261 पारियों में सचिन
27 बार नाबाद रहे हैं। यानी प्रति पारी उनके
नाबाद रहने की दर है- 0.10
इस लिहाज से 339 पारियों में वह नाबाद रहते - 34
सचिन ने भारत के लिए 261 पारियों में 27 बार
नाबाद रहते हुए 54.59 की औसत से 12773 रन
बनाए हैं। इस लिहाज अगर वह आस्ट्रेलियाई रहते
तो 339 पारियों में 34 बार नाबाद रहते हुए
54.59 की औसत से रन बनाते - 16649
सचिन ने 261 पारियों में 42 शतक बनाए हैं।
यानी हर 6.21 पारी में एक शतक इस
लिहाज से अगर वह आस्ट्रेलियाई होते तो
339 पारियों में उनके शतकों की संख्या होती- 55
इसी तरह उनके अद्धर्शतकों की संख्या होती- 69
अब देखते हैं कि पोंटिंग अगर भारतीय होते तो क्या होता
पोंटिंग के पहले टेस्ट मैच से अब तक
आस्ट्रेलिया के कुल टेस्ट मैच- 155
इतने दिनों में पोंटिंग के कुल मैच- 132
पोंटिंग की प्रतिशत अनुपस्थिति- 14.84
इतने दिनों में भारत ने टेस्ट खेले- 135
अगर पोंटिंग भारतीय होते तो अपनी
अनुपस्थिति दर के हिसाब से टेस्ट खेले होते- 115
आस्ट्रेलिया के लिए प्रति टेस्ट पोंटिंग के
पारियों की संख्या हुई- 1.66
तो अगर वह भारतीय होते तो 115 टेस्ट में
उनके पारियों की संख्या हुई होती - 190
आस्ट्रेलिया के लिए वह 222 पारियों में 26
बार नाबाद रहे हैं। इस लिहाज से अगर वह
भारतीय होते तो उनकी नाबाद पारियों की
संख्या होती - 21
आस्ट्रेलिया के लिए पोंटिंग ने 56.68 की
औसत से रन बनाए हैं। अगर वह भारतीय होते
तो उपरोक्त निष्कर्षों के आधार पर इसी औसत
से उनके रन होते - 9578
पोटिंग ने आस्ट्रेलिया के लिए 222 पारियों में
38 शतक लगाए है। अगर वह भारतीय होते तो
इसी दर से 190 पारियों में उनके शतकों की
संख्या होती - 32
इसी तरह उनके अद्धर्शतकों की संख्या होती - 39
तो देखा आपने कि इस स्थित में सचिन कितने आगे पहुंच गए होते। तब कोई सोच भी नहीं सकता था कि भारतीय पोंटिंग आस्ट्रेलियाई सचिन का रिकार्ड भी तोड़ पाएगा। लेकिन हमारे भारतीय सचिन ने कम मौकों के बावजूद ऐसे मुकाम तय किए हैं जहां पहुंचने में ज्यादा मौके पाने वाले आस्ट्रेलियाई पोंटिंग को अभी भी बहुत मेहनत करनी होगी।
Saturday, July 18, 2009
Tuesday, June 16, 2009
तो गोलू के बाथरूम जाने से हार गया भारत
भारतीय टीम ट्वंटी 20 विश्व कप से बाहर हुई तो इसके सबसे बड़े कारणों में धोनी की घटिया बल्लेबाजी, फील्डरों के खराब प्रदर्शन के साथ-साथ गोलू का भारतीय पारी के दौरान बाथरूम जाना भी रहा। क्या कहा आपने, ये गोलू कौन है ----, गोलू को नहीं जानते ----। गोलू 12 साल का वह बालक है जो भारतीय पारी के दौरान अगर बाथरूम गया तो विकेट गिरने की संभावना कफी बढ़ जाती है। गोलू खुद तो ऐसा नहीं मानता लेकिन उसके भैया और तमाम दोस्त यही बात कहते हैं।
आप और हम भी शायद उस गोलू की तरह या उसके भैया और दोस्तों के जैसे हैं जो भारत के मैचों के दौरान तमाम किस्म के टोटके करते हैं। कभी-कभी तो इसक खुमार मैच खत्म होने के दो-तीन दिन बाद तक भी रहता है। भारत मैच हारा और अगले दिन परचून की दुकान जाते वक्त पड़ोसी मिल जाता है और कहता क्यों भाई साहब हरवा ही दिया आपने इंडिया को। इस पर जवाब होता है अरे भाई साबह मैंने नहीं गोलू (भोलू, संदीप, रमेश, सुरेश भी हो सकते हैं जिम्मेदार) ने हरवा दिया। युवराज बैटिंग कर रहा था और वह बाथरूम जाने की जिद करने लगा। आप तो जानते ही हैं वह बाथरूम जाता है तो क्या होता है। वह लौटा नहीं कि युवी स्टंप आउठ होकर पैवेलियन लौट चुका था। वह क्रीज पर थोड़ी देर और टिक जाता तो मैच का नक्शा बदल जाता।
आश्चर्य की बात है कि इस तरह के टोटकों में यकीन रखने वाले कोई अनपढ़ या गंवार नहीं होते। वह पत्रकार, बैंकर, आईएएस अफसर से लेकर मल्टीनेशनल कम्पनियों का कोई कर्मचारी भी हो सकता है। जिस पर रौब जमा उससे तो टोटके करवा लिए और नहीं जमा तो मन में सैकड़ों गालियां दे डाली। साला जाता भी नहीं---- पूरा मैच देखेगा और इंडिया की वाट लगा के ही दम लेगा। हालांकि मजा तब आता है जब ऐसे लोग खुद किसी दूसरे के टोटके का पात्र बन जाते हैं। तब इन्हें बड़ा अजीब लगता है। सोचते हैं कि मैं तो मैच जिताऊ प्लेयर हूं कोई बाहरी (आस्ट्रेलियाई ग्रेग चैपल की तरह) मुझे क्या नसीहत देगा। ऐसा लगता है कि धोनी, युवराज, इरफान जहीर की मेहनत तो बस यूं ही है मैच तो यही जिताते हैं तीन घंटे एक ही कुर्सी पर बैठ कर, पेशाब दबा कर, पानी न पीकर या बहुत पानी पी कर। ताज्जुब है।
ऐसा नहीं ये टोटके सिर्फ आम जन ही करते हैं। ये क्रिकेटर भी कम नहीं भाई साहब। कोई बाएं पैर में पहले पैड बांधता है तो कोई लाल रुमाल लेकर क्रीज पर जाता है, कोई ग्लव्स में स्क्वैश की गेंद रखता है तो कोई मैच के दौरान टी-शर्ट बदलता है। कितनी जायज है ये टोटकेबाजी या किसी के ऊपर शुभ-अशुभ का ठप्पा लगा देना।
क्रिकेट मैच तो हल्की-फुल्की बात है लेकिन ये आदत जिन्दगी के गम्भीर क्षणों में भी पीछा नहीं छोड़ती। वो ऑफिस में आया इसलिए मेरी नौकरी गई। सवेरे उसका चेहरा देख लिया तो दिन खराब हो गया। फलां साला है ही मनहूस--- आदि-आदि। ये कोई हंसी-मजाक नहीं। क्या ऐसी सोच को क्रिकेट में जायज और गम्भीर मसलों पर नाजायज है। गलत तो गलत ही है चाहे किसी भी अवसर पर क्यों न हो। आपका क्या कहना है?
आप और हम भी शायद उस गोलू की तरह या उसके भैया और दोस्तों के जैसे हैं जो भारत के मैचों के दौरान तमाम किस्म के टोटके करते हैं। कभी-कभी तो इसक खुमार मैच खत्म होने के दो-तीन दिन बाद तक भी रहता है। भारत मैच हारा और अगले दिन परचून की दुकान जाते वक्त पड़ोसी मिल जाता है और कहता क्यों भाई साहब हरवा ही दिया आपने इंडिया को। इस पर जवाब होता है अरे भाई साबह मैंने नहीं गोलू (भोलू, संदीप, रमेश, सुरेश भी हो सकते हैं जिम्मेदार) ने हरवा दिया। युवराज बैटिंग कर रहा था और वह बाथरूम जाने की जिद करने लगा। आप तो जानते ही हैं वह बाथरूम जाता है तो क्या होता है। वह लौटा नहीं कि युवी स्टंप आउठ होकर पैवेलियन लौट चुका था। वह क्रीज पर थोड़ी देर और टिक जाता तो मैच का नक्शा बदल जाता।
आश्चर्य की बात है कि इस तरह के टोटकों में यकीन रखने वाले कोई अनपढ़ या गंवार नहीं होते। वह पत्रकार, बैंकर, आईएएस अफसर से लेकर मल्टीनेशनल कम्पनियों का कोई कर्मचारी भी हो सकता है। जिस पर रौब जमा उससे तो टोटके करवा लिए और नहीं जमा तो मन में सैकड़ों गालियां दे डाली। साला जाता भी नहीं---- पूरा मैच देखेगा और इंडिया की वाट लगा के ही दम लेगा। हालांकि मजा तब आता है जब ऐसे लोग खुद किसी दूसरे के टोटके का पात्र बन जाते हैं। तब इन्हें बड़ा अजीब लगता है। सोचते हैं कि मैं तो मैच जिताऊ प्लेयर हूं कोई बाहरी (आस्ट्रेलियाई ग्रेग चैपल की तरह) मुझे क्या नसीहत देगा। ऐसा लगता है कि धोनी, युवराज, इरफान जहीर की मेहनत तो बस यूं ही है मैच तो यही जिताते हैं तीन घंटे एक ही कुर्सी पर बैठ कर, पेशाब दबा कर, पानी न पीकर या बहुत पानी पी कर। ताज्जुब है।
ऐसा नहीं ये टोटके सिर्फ आम जन ही करते हैं। ये क्रिकेटर भी कम नहीं भाई साहब। कोई बाएं पैर में पहले पैड बांधता है तो कोई लाल रुमाल लेकर क्रीज पर जाता है, कोई ग्लव्स में स्क्वैश की गेंद रखता है तो कोई मैच के दौरान टी-शर्ट बदलता है। कितनी जायज है ये टोटकेबाजी या किसी के ऊपर शुभ-अशुभ का ठप्पा लगा देना।
क्रिकेट मैच तो हल्की-फुल्की बात है लेकिन ये आदत जिन्दगी के गम्भीर क्षणों में भी पीछा नहीं छोड़ती। वो ऑफिस में आया इसलिए मेरी नौकरी गई। सवेरे उसका चेहरा देख लिया तो दिन खराब हो गया। फलां साला है ही मनहूस--- आदि-आदि। ये कोई हंसी-मजाक नहीं। क्या ऐसी सोच को क्रिकेट में जायज और गम्भीर मसलों पर नाजायज है। गलत तो गलत ही है चाहे किसी भी अवसर पर क्यों न हो। आपका क्या कहना है?
Monday, June 15, 2009
उफ्फ ये क्रिकेट की अनिश्चितताएं
क्रिकेट अनिश्चितताओं का खेल है---- इसका इससे बड़ा सबूत और क्या हो सकता है कि मौजूदा ट्वंटी विश्व कप में अब तक एक भी मैच नहीं हारने वाली श्रीलंका की टीम अगर मंगलवार को न्यूजीलैण्ड से एक रन से भी हारती है तो वह टूर्नामेंट से बाहर हो जाएगी।
श्रीलंका ने ग्रुप ऑफ डेथ माने जाने वाले ग्रुप सी में अपने दोनों मैच जीते (आस्ट्रेलिया और वेस्टइण्डीज के खिलाफ)। इसके बाद सुपर एट में ग्रुप एफ में उसने पाकिस्तान और आयरलैण्ड को भी हराया। लेकिन अब स्थितियां ऐसी बन गई कि न्यूजीलैण्ड के खिलाफ होने वाला उसका मैच अचानक ही करो या मरो वाला हो गया।
ग्रुप एफ में पाकिस्तान ने सोमवार को आयरलैण्ड पर बड़ी जीत दर्ज की। इससे पहले वह श्रीलंका से हार गया था जबकि न्यूजीलैण्ड से जीता था। आयरलैण्ड से मैच के बाद पाक टीम का नेट रन रेट 1.185 हो गया जो कि श्रीलंका (0.700) और न्यूजीलैण्ड (0.093) दोनों से बेहतर है। फिलहाल पाकिस्तान और श्रीलंका के सुपर एट में दो-दो जीत से चार अंक हैं जबकि न्यूजीलैण्ड के पास एक जीत (आयरलैण्ड के खिलाफ) से दो अंक हैं।
अभी न्यूजीलैण्ड का नेट रन रेट श्रीलंका से बेहतर है। अगर वह श्रीलंका के खिलाफ मैच जीत जाता है तो ग्रुप एफ से पाकिस्तान, श्रीलंका और आयरलैण्ड तीनों के चार-चार अंक हो जाएंगे। ऐसे में नेट रन रेट से पहली दो टीमों का फैसला होगा और पाकिस्तान और न्यूजीलैण्ड सेमीफाइनल में पहुंच जाएं। बेचारा श्रीलंका जो अब तक चार में चार में से चारों मैच में जीत दर्ज की टूर्नामेंट से बाहर हो जाएगा। मैं नहीं चाहता ऐसा हो क्योंकि प्रदर्शन के लिहाज से श्रीलंकाई टीम ज्यादा डीजर्विंग है लेकिन ट्वंटी 20 में कुछ भी अनुमान लगाना असंभव है।
पिछले ट्वंटी 20 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के साथ भी ऐसा ही हुआ था जिसने अपने पहले चार मैच जीते लेकिन भारत के खिलाफ एक मैच हारने के बाद वह टूर्नामेंट से बाहर हो गया। वह रन रेट के आधार पर भारत और न्यूजीलैण्ड से पिछड़ गया।
श्रीलंका ने ग्रुप ऑफ डेथ माने जाने वाले ग्रुप सी में अपने दोनों मैच जीते (आस्ट्रेलिया और वेस्टइण्डीज के खिलाफ)। इसके बाद सुपर एट में ग्रुप एफ में उसने पाकिस्तान और आयरलैण्ड को भी हराया। लेकिन अब स्थितियां ऐसी बन गई कि न्यूजीलैण्ड के खिलाफ होने वाला उसका मैच अचानक ही करो या मरो वाला हो गया।
ग्रुप एफ में पाकिस्तान ने सोमवार को आयरलैण्ड पर बड़ी जीत दर्ज की। इससे पहले वह श्रीलंका से हार गया था जबकि न्यूजीलैण्ड से जीता था। आयरलैण्ड से मैच के बाद पाक टीम का नेट रन रेट 1.185 हो गया जो कि श्रीलंका (0.700) और न्यूजीलैण्ड (0.093) दोनों से बेहतर है। फिलहाल पाकिस्तान और श्रीलंका के सुपर एट में दो-दो जीत से चार अंक हैं जबकि न्यूजीलैण्ड के पास एक जीत (आयरलैण्ड के खिलाफ) से दो अंक हैं।
अभी न्यूजीलैण्ड का नेट रन रेट श्रीलंका से बेहतर है। अगर वह श्रीलंका के खिलाफ मैच जीत जाता है तो ग्रुप एफ से पाकिस्तान, श्रीलंका और आयरलैण्ड तीनों के चार-चार अंक हो जाएंगे। ऐसे में नेट रन रेट से पहली दो टीमों का फैसला होगा और पाकिस्तान और न्यूजीलैण्ड सेमीफाइनल में पहुंच जाएं। बेचारा श्रीलंका जो अब तक चार में चार में से चारों मैच में जीत दर्ज की टूर्नामेंट से बाहर हो जाएगा। मैं नहीं चाहता ऐसा हो क्योंकि प्रदर्शन के लिहाज से श्रीलंकाई टीम ज्यादा डीजर्विंग है लेकिन ट्वंटी 20 में कुछ भी अनुमान लगाना असंभव है।
पिछले ट्वंटी 20 विश्व कप में दक्षिण अफ्रीका के साथ भी ऐसा ही हुआ था जिसने अपने पहले चार मैच जीते लेकिन भारत के खिलाफ एक मैच हारने के बाद वह टूर्नामेंट से बाहर हो गया। वह रन रेट के आधार पर भारत और न्यूजीलैण्ड से पिछड़ गया।
गनीमत है ये क्रिकेट नहीं चलाते
हमारी क्रिकेट टीम ट्वंटी 20 विश्व कप के सेमीफाइनल की होड़ से बाहर हो गई। क्या इससे रातों-रात टीम इण्डिया गई गुजरी हो गई? क्या धोनी चतुर कप्तान से फिसड्डी कप्तान हो गए? क्या गौतम गम्भीर, रोहित शर्मा, जहीर खान, हरभजन सिंह जैसे क्रिकेटर अब क्रिकेटर न हो कर कबाड़ हो गए? क्या अब भारतीय टीम को वापस देश लाने के बजाय प्रशांत महासागर में डूबो देना चाहिए (करीब 15 साल पहले विशन सिंह बेदी शारजाह में भारतीय टीम की हार पर ऐसा कहा था) ?
उपरोक्त लिखे किसी जवाल का जवाब हां नहीं है। और गनीमत है कि जो इनका जवाब हां में देते हैं वो इस देश की क्रिकेट नहीं चलाते। भारतीय टीम हारी जाहिर है खराब खेली इसलिए हारी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि टीम ही खराब हो गई। क्रिकेट फॉर्म का खेल है और दुर्भाग्य है हमारे कई खिलाड़ी एक साथ आउट ऑफ फॉर्म हो गए। गम्भीर टच में नहीं थे, सहवाग के अचानक लौटने से रोहित को ओपनिंग करनी पड़ गई। रैना पहली बार इंग्लैण्ड गए थे। जहीर-ईशांत अपनी लय में नहीं थे (याद रखे कुछ ही दिन पहले इन्हें दुनिया की सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज जोड़ी कहा जा रहा था)। धोनी की कप्तानी पहले जैसे ही रही हां वह बल्लेबाजी में जरूर खराब साबित हुए। उन्होंने इन दिनों शॉट खेलने की क्षमता खो दी है। लेकिन यह वापस आ सकती है। पिछले विश्व कप में उन्होंने जिस बल्लेबाज को क्रीज पर भेजा उसने रन बनाए, जिस गेंदबाज के हाथ में गेंद दी उसने विकेट लिए। इस बार ऐसा नहीं हुआ। होता है ऐसा।
हम भी ऑफिस में रोज एक जैसा काम नहीं करते। कभी यहां कभी वहा गलती होती रहती है जिसे हम ठीक करते रहते हैं। क्रिकेट में इतनी सी गलती से बल्लेबाज आउट हो जाते हैं और वह हमारी तरह इसे बदल नहीं सकते।
मुमकिन है कल धोनी के घर कुछ बेवकूफ क्रिकेट प्रशंसक पत्थरबाजी कर दे। कहीं जहीर का पुतला फूंका जाए तो कहीं रोहित शर्मा के नाम की हाय-हाय हो। लेकिन यह कितना जायज है। धोनी को बदल कर किसे कप्तान बना देंगे। है कोई विकल्प। गम्भीर से बेहतर ओपनर कौन है हमारे पास। क्या कोई अन्य भारतीय ट्वंटी 20 क्रिकेट में रोहित शर्मा से बेहतर यूटीलिटी प्लेयर है। समय है इस हार को पचाने का। ज्यादा शोर-शराबे से कुछ होगा नहीं। नाहक ही टीम पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। और यह कोई वह विश्व कप नहीं जो चार साल में एक बार होता है। अगला ट्वंटी 20 विश्व कप अगले ही साल होना है।
कुछ दिन बाद भारत को वेस्टइण्डीज जाना है चार वनडे की सीरीज खेलने। सितंबर में चैम्पियंस ट्रॉफी भी होगी। अक्टूबर में आस्ट्रेलियाई टीम भारत आ रही है सात वनडे खेलने। और भी कई मैच हैं। हमें टीम का मनोबल सिर्फ इस हार की वजह से गिरने नहीं देना चाहिए।
उपरोक्त लिखे किसी जवाल का जवाब हां नहीं है। और गनीमत है कि जो इनका जवाब हां में देते हैं वो इस देश की क्रिकेट नहीं चलाते। भारतीय टीम हारी जाहिर है खराब खेली इसलिए हारी लेकिन इसका मतलब यह नहीं कि टीम ही खराब हो गई। क्रिकेट फॉर्म का खेल है और दुर्भाग्य है हमारे कई खिलाड़ी एक साथ आउट ऑफ फॉर्म हो गए। गम्भीर टच में नहीं थे, सहवाग के अचानक लौटने से रोहित को ओपनिंग करनी पड़ गई। रैना पहली बार इंग्लैण्ड गए थे। जहीर-ईशांत अपनी लय में नहीं थे (याद रखे कुछ ही दिन पहले इन्हें दुनिया की सबसे खतरनाक तेज गेंदबाज जोड़ी कहा जा रहा था)। धोनी की कप्तानी पहले जैसे ही रही हां वह बल्लेबाजी में जरूर खराब साबित हुए। उन्होंने इन दिनों शॉट खेलने की क्षमता खो दी है। लेकिन यह वापस आ सकती है। पिछले विश्व कप में उन्होंने जिस बल्लेबाज को क्रीज पर भेजा उसने रन बनाए, जिस गेंदबाज के हाथ में गेंद दी उसने विकेट लिए। इस बार ऐसा नहीं हुआ। होता है ऐसा।
हम भी ऑफिस में रोज एक जैसा काम नहीं करते। कभी यहां कभी वहा गलती होती रहती है जिसे हम ठीक करते रहते हैं। क्रिकेट में इतनी सी गलती से बल्लेबाज आउट हो जाते हैं और वह हमारी तरह इसे बदल नहीं सकते।
मुमकिन है कल धोनी के घर कुछ बेवकूफ क्रिकेट प्रशंसक पत्थरबाजी कर दे। कहीं जहीर का पुतला फूंका जाए तो कहीं रोहित शर्मा के नाम की हाय-हाय हो। लेकिन यह कितना जायज है। धोनी को बदल कर किसे कप्तान बना देंगे। है कोई विकल्प। गम्भीर से बेहतर ओपनर कौन है हमारे पास। क्या कोई अन्य भारतीय ट्वंटी 20 क्रिकेट में रोहित शर्मा से बेहतर यूटीलिटी प्लेयर है। समय है इस हार को पचाने का। ज्यादा शोर-शराबे से कुछ होगा नहीं। नाहक ही टीम पर अतिरिक्त दबाव बढ़ेगा। और यह कोई वह विश्व कप नहीं जो चार साल में एक बार होता है। अगला ट्वंटी 20 विश्व कप अगले ही साल होना है।
कुछ दिन बाद भारत को वेस्टइण्डीज जाना है चार वनडे की सीरीज खेलने। सितंबर में चैम्पियंस ट्रॉफी भी होगी। अक्टूबर में आस्ट्रेलियाई टीम भारत आ रही है सात वनडे खेलने। और भी कई मैच हैं। हमें टीम का मनोबल सिर्फ इस हार की वजह से गिरने नहीं देना चाहिए।
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